मैनपुरी जिला अस्पताल में लापरवाही का आलम: बिजली गुल, पंखे बंद, मरीजों का हाल बेहाल

मैनपुरी के महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल में एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अव्यवस्था सामने आई है। भीषण गर्मी के बीच अस्पताल के सभी वार्डों में बिजली की अनुपस्थिति और बंद पड़े पंखों ने मरीजों और उनके तीमारदारों का जीना मुहाल कर दिया है। जनरेटर होने के बावजूद मरीजों को पंखे की हवा तक नसीब नहीं हो रही, और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। यह स्थिति न केवल अस्पताल प्रशासन की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि मरीजों के जीवन के साथ हो रहे खिलवाड़ को भी दर्शाती है।

क्या है पूरा मामला?

मैनपुरी के जिला अस्पताल में हालात बद से बदतर हो चुके हैं। अस्पताल के सभी वार्डों में बिजली की कमी के कारण मरीजों को असहनीय गर्मी का सामना करना पड़ रहा है। खासकर इमरजेंसी वार्ड में लगे पंखे बंद पड़े हैं, जिसके चलते मरीजों को राहत देने के लिए तीमारदार कागज के पट्ठों से हवा करने को मजबूर हैं। एक तीमारदार, जयंती देवी, ने बताया कि उनके मरीज की हालत गंभीर है, लेकिन अस्पताल में बिजली और पंखे न होने की वजह से उनकी तकलीफ और बढ़ गई है।

अस्पताल में जनरेटर होने के बावजूद इसका उपयोग नहीं हो रहा, जिसके कारण मरीजों को न तो पंखे की हवा मिल रही है और न ही अन्य बुनियादी सुविधाएं। यह स्थिति तब और गंभीर हो जाती है, जब गर्मी के इस मौसम में मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। मरीजों और उनके परिजनों का गुस्सा इस बात पर है कि अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं।

सीएमएस की भूमिका पर सवाल

मैनपुरी जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) बार-बार सुर्खियों में रहते हैं, लेकिन इस बार उनकी चुप्पी और लापरवाही ने मरीजों के बीच आक्रोश को और बढ़ा दिया है। सूत्रों के अनुसार, अस्पताल में बिजली और जनरेटर की समस्या लंबे समय से चली आ रही है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। यह पहली बार नहीं है जब महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल लापरवाही के आरोपों में घिरा हो। इससे पहले भी, जनवरी 2025 में एक 60 वर्षीय महिला की मृत्यु हार्ट अटैक के कारण हो गई थी, जब ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर कथित तौर पर इंस्टाग्राम रील्स देखने में व्यस्त थे।

स्वास्थ्य विभाग की चुप्पी

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की इस मामले में चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। क्या यह लापरवाही जानबूझकर है, या फिर प्रशासनिक नाकामी का नतीजा? मरीजों का कहना है कि अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव उनकी जान के लिए खतरा बन रहा है। एक तरफ सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के दावे करती है, वहीं दूसरी तरफ मैनपुरी जैसे जिला अस्पतालों की बदहाली इन दावों की पोल खोल रही है।

मरीजों और तीमारदारों का दर्द

जयंती देवी, एक मरीज की तीमारदार, ने अपनी आपबीती साझा करते हुए कहा, “हमारे मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही है, लेकिन गर्मी और पंखे न होने की वजह से उनकी हालत और बिगड़ रही है। हम कागज से हवा कर रहे हैं, लेकिन यह कितनी देर चलेगा? अस्पताल में जनरेटर है, फिर भी बिजली क्यों नहीं दी जा रही?” उनकी यह बाइट मरीजों और उनके परिजनों की पीड़ा को साफ तौर पर दर्शाती है।

इसके अलावा, अस्पताल में डॉक्टरों की अनुपस्थिति और समय पर ड्यूटी न करने की शिकायतें भी आम हैं। हाल ही में एक पोस्ट में कहा गया कि डॉक्टरों के ड्यूटी पर न आने से मरीजों को बिना इलाज के वापस लौटना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल मरीजों के लिए खतरनाक है, बल्कि स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर सवाल उठाती है।

पहले भी विवादों में रहा है अस्पताल

मैनपुरी का महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल पहले भी कई बार विवादों में रहा है। जनवरी 2025 में, एक डॉक्टर के सोशल मीडिया पर रील्स देखने के दौरान मरीज की मृत्यु का मामला सुर्खियों में आया था। इसके अलावा, हाल ही में एक अन्य घटना में, एम्बुलेंस की कमी के कारण मरीज को ई-रिक्शा से अस्पताल लाना पड़ा था। ये घटनाएं अस्पताल की बदहाल स्थिति और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को बार-बार उजागर करती हैं।

क्या है समाधान?

इस गंभीर स्थिति से निपटने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:

  1. बिजली और जनरेटर की व्यवस्था: अस्पताल में नियमित बिजली आपूर्ति और जनरेटर का तुरंत संचालन सुनिश्चित किया जाए।
  2. डॉक्टरों की जवाबदेही: डॉक्टरों की ड्यूटी और उपस्थिति की नियमित जांच हो, और लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।
  3. स्वास्थ्य विभाग की सक्रियता: स्वास्थ्य विभाग को इस मामले में तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और अस्पताल की अव्यवस्थाओं को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
  4. जागरूकता और शिकायत तंत्र: मरीजों और उनके परिजनों के लिए एक प्रभावी शिकायत तंत्र स्थापित किया जाए, ताकि ऐसी समस्याओं की तुरंत जानकारी मिल सके।

निष्कर्ष

मैनपुरी का महाराजा तेज सिंह जिला अस्पताल मरीजों के लिए राहत का केंद्र होने के बजाय उनकी परेशानियों का कारण बन रहा है। बिजली की कमी, बंद पड़े पंखे, और जनरेटर का उपयोग न होना जैसी समस्याएं न केवल लापरवाही को दर्शाती हैं, बल्कि मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ भी हैं। स्वास्थ्य विभाग और अस्पताल प्रशासन को इस स्थिति पर तुरंत ध्यान देना होगा, वरना यह बदहाली और लोगों की जान लेती रहेगी।

आपके विचार क्या हैं? क्या आपने भी ऐसी लापरवाही का सामना किया है? अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं, ताकि जागरूकता फैले और बदलाव आए।

स्रोत: स्थानीय सूत्र, जयंती देवी (तीमारदार), और सोशल मीडिया पोस्ट

नोट: यह ब्लॉग जनहित में लिखा गया है और इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए जागरूकता फैलाना है।

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