बुलंदशहर, 1 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में स्याना थाना क्षेत्र के महाव गांव में 3 दिसंबर 2018 को हुई भीषण हिंसा के मामले में आज कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। एडीजे-12 कोर्ट ने इस बहुचर्चित मामले में 38 आरोपियों को दोषी करार दिया है। इनमें से 5 आरोपी — प्रशांत नट, डेविड, जोनी, राहुल और लोकेंद्र मामा — तत्कालीन थाना प्रभारी इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या में दोषी पाए गए हैं।
क्या था पूरा मामला?
3 दिसंबर 2018 को महाव गांव में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद हिंसा भड़क उठी थी। स्थानीय हिंदू संगठनों और ग्रामीणों ने चिंगरावठी पुलिस चौकी पर हमला किया, हाईवे जाम किया, पथराव और आगजनी की। इस दौरान इंस्पेक्टर सुबोध सिंह और एक स्थानीय युवक सुमित कुमार की गोली लगने से मौत हो गई थी।
कैसे हुई हिंसा?
पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, बजरंग दल के स्थानीय नेता योगेश राज ने गोवंश अवशेषों को ट्रैक्टर में लादकर पुलिस चौकी की ओर ले जाने का नेतृत्व किया। जब पुलिस ने भीड़ को रोकने की कोशिश की, तो पथराव और गोलीबारी शुरू हो गई।
पुलिस और कोर्ट की कार्रवाई:
हिंसा के बाद पुलिस ने 44 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। मुकदमे के दौरान 5 की मौत हो गई, और एक नाबालिग को रिहा कर दिया गया। शेष 38 आरोपियों पर सुनवाई चली। कोर्ट ने:
- 5 लोगों को हत्या का दोषी पाया
- शेष 33 को बलवा, हत्या के प्रयास और अन्य धाराओं में दोषी करार दिया
योगेश राज और जीतू फौजी हत्या के आरोप से मुक्त हुए, लेकिन अन्य गंभीर आरोपों में दोषी ठहराए गए।
सुबोध सिंह की पत्नी की न्याय यात्रा:
इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की पत्नी, रजनी सिंह ने अदालत से अदालत तक न्याय के लिए संघर्ष किया। उन्होंने हाई कोर्ट से मिली जमानतों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। उनकी यह जद्दोजहद आज रंग लाई है।
समाज पर प्रभाव:
इस घटना ने सांप्रदायिक तनाव, पुलिस तंत्र की चुनौतियों और भीड़ हिंसा के खिलाफ सख्त कानूनों की जरूरत को उजागर किया था। आज आया फैसला समाज में विश्वास बहाल करने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
सजा का ऐलान:
आज 1 अगस्त को दोपहर 2 बजे, एडीजे-12 कोर्ट दोषियों की सजा का ऐलान करेगी। पूरा देश इस फैसले की प्रतीक्षा कर रहा है।
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हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं इंस्पेक्टर सुबोध सिंह और सुमित कुमार को।










