📍 स्थान: बुलंदशहर (शिकारपुर)
🗓 तैयारी शुरू: 2027 विधानसभा चुनाव
बुलंदशहर की शिकारपुर विधानसभा सीट (69) पर 2027 का चुनावी माहौल अभी से गर्म हो चुका है। समाजवादी पार्टी (सपा) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सहित अन्य प्रमुख दल यहां अपनी चुनावी जमीन मजबूत करने में जुटे हैं। स्थानीय नेताओं की सक्रियता, लखनऊ से दिल्ली तक टिकट की जोड़तोड़ और जातीय समीकरणों के गणित ने शिकारपुर को एक हॉट सीट बना दिया है।
🔍 शिकारपुर का जातीय गणित: कौन किस पर भारी?
- ब्राह्मण मतदाता सबसे प्रभावी भूमिका में हैं
- जाट और राजपूत मतदाता निर्णायक
- मुस्लिम और दलित समुदायों की संख्या भी अहम
इन सभी वर्गों को साथ लाने की रणनीति पर ही पार्टियों की किस्मत तय होगी।
🟥 सपा की रणनीति: PDA प्लस ठाकुर कार्ड
सूत्रों के अनुसार, सपा एक ठाकुर समाज के युवा नेता को मैदान में उतारने की योजना बना रही है।
✅ PDA (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) वोट बैंक
✅ मुस्लिम-दलित पर पारंपरिक पकड़
✅ ठाकुर प्रत्याशी से राजपूत वोट साधने की कोशिश
2024 लोकसभा में PDA फॉर्मूले से मिली 37 सीटों की सफलता, सपा को इस बार और आक्रामक बना सकती है।
🟦 भाजपा की रणनीति: परंपरागत गठजोड़ को फिर से मजबूती
भाजपा इस बार भी ब्राह्मण-जाट गठजोड़ के सहारे मैदान में है, लेकिन साथ ही:
✅ गैर-यादव OBC और दलितों पर सेंध लगाने की तैयारी
✅ संगठनात्मक ताकत, बूथ लेवल एक्टिविज्म पर जोर
✅ ब्राह्मण-जाट-ओबीसी का मिश्रित कॉकटेल तैयार
2024 में सीटों में आई गिरावट भाजपा को पुनः रणनीति बदलने पर मजबूर कर रही है।
🎯 टिकट की दौड़: लखनऊ से दिल्ली तक लॉबिंग तेज
- सपा: कई युवा ठाकुर नेता टिकट के दावेदार
- भाजपा: ब्राह्मण, जाट और ओबीसी चेहरों पर मंथन
- दलों का ध्यान अब उम्मीदवार के जातीय प्रभाव और क्षेत्रीय पकड़ पर
🗳️ 2022 और 2024 का प्रभाव: इतिहास से सबक
- 2022: भाजपा ने शिकारपुर सीट पर कब्जा किया
- 2024: सपा-कांग्रेस गठबंधन की बड़ी जीत ने भाजपा को चेताया
2024 की हार के बाद भाजपा को अपने कोर वोट बैंक में दरार को भरना होगा, वहीं सपा अपनी पकड़ को और मजबूत करने की कोशिश में है।
⚠️ चुनौतियाँ और स्थानीय मुद्दे
- बेरोजगारी, आवारा पशु, सड़क-बिजली-पानी
- विकास बनाम जाति का मुद्दा
- आंतरिक गुटबाजी और टिकट वितरण की पारदर्शिता
🧭 निष्कर्ष: शिकारपुर बनेगा राजनीतिक युद्ध का मैदान
शिकारपुर विधानसभा सीट 2027 में यूपी की सबसे अहम सीटों में से एक होगी।
- सपा के लिए PDA + ठाकुर समीकरण एक बड़ा मौका है।
- भाजपा के लिए ब्राह्मण-जाट और संगठित कैडर ही ताकत बनेंगे।
- लेकिन आखिर में जीत उसी की होगी जो समीकरण और स्थानीय मुद्दों को साध सकेगा।
✍️ आपकी राय क्या है?
क्या जातीय समीकरण 2027 में भी चुनाव जीत का पैमाना बनेंगे?
क्या स्थानीय मुद्दे जाति को पछाड़ पाएंगे?
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📌 स्रोत: स्थानीय सूत्र, राजनीतिक विश्लेषण, और समाचार रिपोर्ट्स
📎 नोट: यह ब्लॉग जनहित में STV India News द्वारा प्रस्तुत किया गया है।
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