दिनांक: 28 जून 2025
बुलंदशहर जिले में तारबंदी में अवैध रूप से छोड़े गए बिजली के करंट से होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। औरंगाबाद थाना क्षेत्र के मुंडी बकापूर गांव में एक और दुखद हादसा सामने आया है, जहां खेत के रखरखाव के लिए गए किसान रणजीत सिंह की तारबंदी में दौड़ रहे 440 वोल्ट के करंट की चपेट में आने से मौके पर ही मौत हो गई। यह कोई पहली घटना नहीं है; इससे पहले भी ब्लॉक बी बी क्षेत्र के पोटा कबूलपुर गांव में एक जवान लड़के की इसी तरह करंट से मौत हो चुकी है। इसके बावजूद, न तो लोग सबक ले रहे हैं और न ही प्रशासन इस गंभीर समस्या पर कोई ठोस कार्रवाई कर रहा है।
क्या है पूरा मामला?
शनिवार को औरंगाबाद थाना क्षेत्र के मुंडी बकापूर गांव में रणजीत सिंह अपने खेत में रखरखाव के लिए गए थे। खेत में की गई तारबंदी में अवैध रूप से कटिया डालकर 440 वोल्ट का करंट छोड़ा गया था, जिसकी चपेट में आने से रणजीत सिंह की मौके पर ही मौत हो गई। सूचना मिलते ही औरंगाबाद थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पंचनामा भरने के बाद पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। इस हादसे ने पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ा दी है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, रणजीत सिंह एक मेहनती किसान थे, और उनकी मौत ने उनके परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। ग्रामीणों में इस बात को लेकर आक्रोश है कि तारबंदी में अवैध करंट छोड़ने की प्रथा पर कोई रोक नहीं लग रही।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
यह कोई नई बात नहीं है। कुछ समय पहले पोटा कबूलपुर गांव में भी तारबंदी के करंट की चपेट में आने से एक युवक की जान चली गई थी। इसके अलावा, 26 जून 2025 को खुर्जा तहसील क्षेत्र में एक किसान, नरेंद्र सिंह (55), की नलकूप पर करंट लगने से मौत हो गई थी। इन घटनाओं से साफ है कि तारबंदी में अवैध रूप से करंट छोड़ने की प्रथा जानलेवा साबित हो रही है। फिर भी, बिजली विभाग और स्थानीय प्रशासन इस पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं कर रहे।
अवैध कटिया और 440 वोल्ट का करंट: एक जानलेवा प्रथा
ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों की तारबंदी में कटिया डालकर बिजली का करंट छोड़ने की प्रथा आम है। इसका उद्देश्य फसलों को जंगली जानवरों से बचाना होता है, लेकिन यह प्रथा मानव जीवन के लिए घातक साबित हो रही है। 440 वोल्ट का करंट, जो सामान्य घरेलू बिजली से कहीं अधिक खतरनाक होता है, तारबंदी में छोड़ा जा रहा है। यह न केवल अवैध है, बल्कि जानमाल के लिए बड़ा खतरा भी है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि बिजली चोरी के जरिए कटिया डालकर करंट छोड़ने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही। एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा, “हर बार ऐसी घटनाएं होती हैं, लेकिन बिजली विभाग और पुलिस सिर्फ खानापूर्ति करते हैं। आखिर कब तक हमारे लोग इस तरह मरते रहेंगे?”
प्रशासन की चुप्पी और लापरवाही
तारबंदी में अवैध करंट छोड़ने की प्रथा के बावजूद प्रशासन की निष्क्रियता कई सवाल खड़े करती है। बिजली विभाग को इस तरह की अवैध गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए, लेकिन बार-बार होने वाली इन घटनाओं से लगता है कि कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा। हाल ही में, बक्सर में भी एक खेत में खुले बिजली तारों के कारण चार लोग झुलस गए थे, और वहां भी ग्रामीणों ने बिजली विभाग की लापरवाही पर सवाल उठाए थे।
रणजीत सिंह की मौत के बाद पुलिस ने भले ही शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया हो, लेकिन सवाल यह है कि केवल पोस्टमार्टम से क्या हासिल होगा? जब तक अवैध कटिया और तारबंदी में करंट छोड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होगी, ऐसी घटनाएं रुकने वाली नहीं हैं।
रणजीत सिंह के परिवार का दर्द
रणजीत सिंह की असमय मृत्यु ने उनके परिवार को गहरे दुख में डुबो दिया है। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, रणजीत अपने परिवार का मुख्य सहारा थे। उनकी मौत ने परिवार की आर्थिक और भावनात्मक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया है। ग्रामीणों ने रणजीत को एक मेहनती और जिम्मेदार व्यक्ति बताया, जिनकी मौत ने पूरे गांव को झकझोर दिया है।
क्या है समाधान?
इस गंभीर समस्या से निपटने के लिए तत्काल और सख्त कदम उठाने की जरूरत है। कुछ सुझाव इस प्रकार हैं:
- सख्त कार्रवाई: अवैध कटिया डालकर तारबंदी में करंट छोड़ने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए। बिजली चोरी को रोकने के लिए नियमित छापेमारी हो।
- जागरूकता अभियान: ग्रामीणों को तारबंदी में करंट छोड़ने के खतरों और कानूनी परिणामों के बारे में जागरूक किया जाए।
- बिजली विभाग की जवाबदेही: बिजली विभाग को अवैध कनेक्शनों की निगरानी के लिए विशेष टीमें गठित करनी चाहिए।
- परिवार को सहायता: रणजीत सिंह के परिवार को आर्थिक सहायता और मुआवजा प्रदान किया जाए, ताकि वे इस दुखद स्थिति से उबर सकें।
- तकनीकी समाधान: खेतों की सुरक्षा के लिए वैकल्पिक और सुरक्षित उपाय, जैसे सौर ऊर्जा से चलने वाली तारबंदी, को प्रोत्साहित किया जाए।
निष्कर्ष
बुलंदशहर के मुंडी बकापूर में रणजीत सिंह की दर्दनाक मौत ने एक बार फिर तारबंदी में अवैध करंट की खतरनाक प्रथा को उजागर किया है। यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। प्रशासन और बिजली विभाग को इस जानलेवा प्रथा पर रोक लगाने के लिए तुरंत कदम उठाने होंगे। क्या रणजीत सिंह की मौत के बाद कोई ठोस कार्रवाई होगी, या यह सिलसिला यूं ही चलता रहेगा? यह सवाल हर उस व्यक्ति के मन में है, जो इन हादसों से दुखी और आक्रोशित है।
आपके विचार क्या हैं? क्या अवैध करंट और बिजली चोरी पर सख्ती की जरूरत है? अपनी राय कमेंट में साझा करें और इस ब्लॉग को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं, ताकि जागरूकता फैले और ऐसी घटनाएं रोकी जा सकें।
स्रोत: स्थानीय सूत्र, सोशल मीडिया पोस्ट, और समाचार रिपोर्ट्स
नोट: यह ब्लॉग जनहित में लिखा गया है और इसका उद्देश्य सड़क सुरक्षा और अवैध बिजली उपयोग के खिलाफ जागरूकता फैलाना है।






