लखनऊ में कोरोना की वापसी – सिविल अस्पताल की वायरल तस्वीरों ने खोली स्वास्थ्य सिस्टम की पोल

लखनऊ से एक चौंकाने वाली खबर ने पूरे उत्तर प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है। राजधानी में कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया है, और सिविल अस्पताल में एक मरीज के फर्श पर तड़पने की तस्वीरें वायरल होने से स्वास्थ्य सिस्टम की बदहाली उजागर हो गई है। इस घटना ने न केवल प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं, बल्कि लोगों में डर और आक्रोश का माहौल भी पैदा कर दिया है।

घटना का विवरण

लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती एक मरीज में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है, जो 2025 में राजधानी का पहला कोविड मामला है। मरीज को बुखार और सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद अस्पताल लाया गया था, लेकिन उचित बेड और ऑक्सीजन की कमी के कारण उसकी हालत बिगड़ गई। सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरों में मरीज को अस्पताल के फर्श पर तड़पते देखा गया, जिसने स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को सामने ला दिया। यह दृश्य देखकर लोग स्तब्ध हैं और सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

आम आदमी पार्टी का हमला

आम आदमी पार्टी (आप) ने इस घटना को लेकर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला है। पार्टी ने आरोप लगाया है कि स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली और कोविड प्रबंधन में ढिलाई के कारण मरीजों की जान खतरे में है। आप नेताओं ने कहा कि सरकार ने कोविड की संभावित लहर के लिए पहले से कोई ठोस तैयारी नहीं की, जिसका खामियाजा अब मरीज भुगत रहे हैं।

स्वास्थ्य विभाग की प्रतिक्रिया

कोरोना के इस पहले मामले के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। अधिकारियों ने तत्काल कोविड टेस्टिंग बढ़ाने, अस्पतालों में बेड और ऑक्सीजन की व्यवस्था करने, और क्वारंटीन सेंटर तैयार करने के आदेश दिए हैं। साथ ही, मरीज के संपर्क में आए लोगों की ट्रेसिंग शुरू कर दी गई है। लेकिन सवाल यह है कि क्या ये कदम अब उठाए जा रहे हैं, जब स्थिति पहले ही बिगड़ चुकी है?

जनता में डर और आक्रोश

वायरल तस्वीरों ने लखनऊ के नागरिकों में डर और गुस्से का माहौल पैदा कर दिया है। लोग सोशल मीडिया पर सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इतनी बड़ी महामारी के बाद भी स्वास्थ्य सिस्टम क्यों सुधर नहीं पाया? क्या सरकार ने पिछली लहरों से कोई सबक नहीं लिया? कई लोग मांग कर रहे हैं कि अस्पतालों में तत्काल सुधार किए जाएं और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।

क्या है असली सवाल?

यह घटना कई गंभीर सवाल खड़े करती है। क्या लखनऊ में यह पहला मामला महज शुरुआत है? क्या स्वास्थ्य विभाग पहले से चल रहे कोविड के खतरों को नजरअंदाज कर रहा था? और सबसे बड़ा सवाल – क्या उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य सिस्टम एक और लहर का सामना करने के लिए तैयार है? इन सवालों के जवाब शायद जांच और समय ही दे पाएंगे।

आगे क्या?

स्वास्थ्य विभाग ने सतर्कता बढ़ाने और कोविड प्रोटोकॉल को सख्त करने की बात कही है। मास्क पहनने, सामाजिक दूरी बनाए रखने, और टीकाकरण को बढ़ावा देने की अपील की जा रही है। लेकिन जनता का भरोसा तब तक नहीं जीता जा सकता, जब तक अस्पतालों की स्थिति में ठोस सुधार न हो। एसटीवी न्यूज इस मामले पर नजर रखे हुए है और आपको हर अपडेट से अवगत कराता रहेगा।

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