बुलंदशहर के शिकारपुर तहसील में आयोजित संपूर्ण समाधान दिवस के दौरान एक पिता की चीख ने पूरे प्रशासन का ध्यान खींचा। यह आवाज थी वीरेंद्र सिंह की — एक सीआरपीएफ जवान जो जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं, लेकिन जिनकी बेटी सोनी चौधरी की मौत के बाद वह न्याय की गुहार लेकर जिले के अफसरों के सामने खड़े थे।
वीरेंद्र सिंह का आरोप है कि उनकी बेटी की मौत आत्महत्या नहीं, बल्कि दहेज हत्या है और औरंगाबाद पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने में लापरवाही बरत रही है।
घटना का पूरा विवरण:
सोनी चौधरी की शादी वर्ष 2023 में सैदपुरा गांव (थाना औरंगाबाद) के ब्रजवीर पुत्र दिनेश चौधरी से हुई थी। वीरेंद्र सिंह के अनुसार, शादी के बाद से ही सोनी को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाता रहा।
29 जून 2025 को अचानक उन्हें बेटी की मौत की खबर मिली।
उन्होंने बताया कि दोपहर में बेटी से बात हुई थी और वह बिल्कुल ठीक थी। लेकिन शाम को ससुराल वालों ने बताया कि सोनी ने जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली।
परिवार वालों को सोनी के गले पर संदिग्ध निशान मिले और उन्हें यह पूरा मामला हत्या का प्रतीत हुआ। इसके बाद थाने में 6 लोगों के खिलाफ IPC की धारा 304B और 498A के तहत मुकदमा दर्ज किया गया, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई।
संपूर्ण समाधान दिवस में फौजी की गुहार:
शिकारपुर तहसील में आयोजित समाधान दिवस में वीरेंद्र सिंह ने एसएसपी बुलंदशहर को प्रार्थना पत्र सौंपते हुए कहा:
“मैं देश की सेवा कर रहा हूं, लेकिन अपनी बेटी को नहीं बचा सका। अगर औरंगाबाद पुलिस ने समय पर कार्रवाई की होती, तो शायद मेरी बेटी आज ज़िंदा होती।”
वीरेंद्र सिंह ने यह भी खुलासा किया कि सोनी के पति ब्रजवीर का किसी और महिला से संबंध था, जिससे उनकी बेटी मानसिक तनाव में रहती थी।
पुलिस की जांच और एसएसपी की प्रतिक्रिया:
पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराकर फोरेंसिक टीम से जांच करवाई है। लेकिन परिजनों का आरोप है कि आरोपियों को राजनीतिक संरक्षण के चलते कार्रवाई नहीं हो रही।
एसएसपी ने मौके पर कहा:
“इस मामले की जांच तेज की जाएगी और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। औरंगाबाद थाने को सभी आरोपियों की जल्द गिरफ्तारी के निर्देश दिए गए हैं।”
बुलंदशहर में बढ़ते दहेज हत्या के मामले:
बुलंदशहर में हाल के महीनों में लगातार दहेज उत्पीड़न के मामले सामने आए हैं।
- 31 अगस्त 2024 को मूढ़ी बकापुर गांव में सोनम की हत्या
- 21 जून 2025 को फराना गांव में नवविवाहिता की संदिग्ध मौत
यह घटनाएं बताती हैं कि दहेज एक सामाजिक कलंक बनकर आज भी महिलाओं की जान ले रहा है।
क्या हैं जरूरी कदम?
✅ त्वरित गिरफ्तारी: सभी आरोपियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
✅ फास्ट ट्रैक जांच: पोस्टमार्टम और फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर शीघ्र निष्कर्ष निकाला जाए।
✅ कानूनी सख्ती: दहेज हत्या और उत्पीड़न के मामलों में ज़मानत और राहत को सीमित किया जाए।
✅ महिला सुरक्षा हेल्पलाइन: ग्रामीण क्षेत्रों में 24×7 सहायता उपलब्ध कराई जाए।
✅ मानसिक सहयोग: पीड़ित परिवार को काउंसलिंग और कानूनी सहायता दी जाए।
निष्कर्ष:
सोनी चौधरी की दुखद मृत्यु सिर्फ एक पारिवारिक हादसा नहीं, बल्कि दहेज प्रथा की क्रूरता और प्रशासनिक निष्क्रियता का उदाहरण बन गई है। एक फौजी पिता की गुहार हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या आज भी बेटियों की जान सुरक्षित नहीं है?
क्या सोनी को न्याय मिलेगा?
इसका उत्तर आने वाले दिनों में पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई से मिलेगा।










