बुलंदशहर, 30 जुलाई 2025 – उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। एक नवविवाहिता की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत की खबर ने न सिर्फ स्थानीय निवासियों को, बल्कि पूरे समाज को दहशत और चिंता में डाल दिया है। यह मामला सिर्फ एक मौत का नहीं, बल्कि उस सोच का भी है जो आज भी महिलाओं को दहेज की आग में झोंकने से बाज नहीं आती।
घटना का विवरण:
यह मामला बुलंदशहर जिले के एक गांव का है, जहां एक नवविवाहिता का शव उसके ससुराल में संदिग्ध स्थिति में पाया गया। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया। मृतका के परिजनों ने इसे आत्महत्या मानने से इनकार करते हुए ससुराल पक्ष पर दहेज हत्या का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि मृतका को शादी के बाद से ही दहेज के लिए मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था।
परिजनों के आरोप:
मृतका के परिवार वालों ने स्पष्ट रूप से आरोप लगाया है कि ससुराल पक्ष द्वारा लगातार दहेज की मांग की जा रही थी। जब उनकी मांगें पूरी नहीं हुईं, तो बहू को प्रताड़ित किया जाने लगा। परिजनों का दावा है कि यह हत्या है, जिसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मृतका को कई बार ससुराल में मारपीट का सामना करना पड़ा था।
पुलिस की कार्रवाई:
घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय थाना पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू कर दी। फॉरेंसिक टीम और डॉग स्क्वॉड को भी बुलाया गया। पुलिस ने ससुराल पक्ष के लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। आसपास के लोगों से भी जानकारी जुटाई जा रही है ताकि मामले की तह तक पहुंचा जा सके।
दहेज प्रथा पर समाज के सवाल:
यह घटना एक बार फिर दहेज प्रथा को लेकर समाज में बहस छेड़ देती है। दहेज निषेध अधिनियम 1961 और भारतीय दंड संहिता की धारा 498ए जैसे कानूनों के बावजूद आज भी महिलाएं दहेज की मांगों की वजह से अपनी जान गंवा रही हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, 2012 में भारत में 8,233 दहेज हत्या के मामले दर्ज हुए थे। इतने सालों बाद भी यह संख्या कम होने की बजाय स्थिर बनी हुई है, जो समाज के लिए एक बड़ा सवाल है।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया:
घटना के बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला संगठनों ने सरकार और प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि सिर्फ कानून बना देना काफी नहीं है, जब तक समाज में मानसिकता नहीं बदलेगी, तब तक इस तरह की घटनाएं होती रहेंगी।
निष्कर्ष:
बुलंदशहर की यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। अब वक्त आ गया है कि हम सभी मिलकर दहेज प्रथा जैसी कुप्रथा के खिलाफ खड़े हों और अपने आस-पास इस प्रकार की घटनाओं को होने से रोकें। मृतका को न्याय तभी मिलेगा जब दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी और समाज ऐसे मामलों पर चुप्पी तोड़कर आवाज उठाएगा।
लेख: STV News टीम, बुलंदशहर
संवाददाता: [आपका नाम]
अगर आप इस मामले की और जानकारी चाहते हैं तो पढ़ें हमारा पूरा ब्लॉग।










