छपरौला, गाज़ियाबाद से STV India News की विशेष रिपोर्ट
गाज़ियाबाद, छपरौला: जब हर सुबह स्कूल जाने वाला बच्चा कीचड़ में फिसल जाए, जब बुज़ुर्ग दरवाज़े से बाहर कदम रखने से घबराएं, जब मां अपनी गोद में बच्चे को लिए रास्ता पार करने से पहले दुआ पढ़े — तो समझ लीजिए कि वो सड़कें अब सिर्फ रास्ता नहीं, बल्कि एक संघर्ष बन चुकी हैं।
छपरौला क्षेत्र की सड़कों की हालत इतनी बदतर हो चुकी है कि वहां चलना भी जोखिम भरा हो गया है। गड्ढों में पानी, कीचड़ का अंबार और हर कदम पर फिसलन — ये किसी दूर-दराज गांव की नहीं, बल्कि NCR के दिल कहे जाने वाले गाज़ियाबाद की तस्वीर है।
STV India News की ग्राउंड रिपोर्ट से सामने आया:
जनता बार-बार प्रशासन से गुहार लगाती रही, लेकिन नतीजा? सन्नाटा।
स्थानीय विधायक और अधिकारी मौनव्रत धारण किए बैठे हैं।
बच्चे, महिलाएं, दुकानदार और बुज़ुर्ग — सबकी ज़िंदगी इन टूटी सड़कों और भरे हुए कीचड़ों के बीच उलझ कर रह गई है।
क्या ये हालात ‘विकास’ के वादों पर एक करारा तमाचा नहीं हैं?
क्या जनता की याद सिर्फ चुनाव के समय ही आती है?
छपरौला की जनता अब सवाल कर रही है — “हमारी गलियों में विकास कब आएगा?” यह सिर्फ एक सड़क की बात नहीं है, यह सम्मान, सुरक्षा और रोज़मर्रा की ज़िंदगी की लड़ाई है।
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